Gurugram

गुरुग्राम जलभराव विरोध : कांग्रेस ने लगाए तंज़ भरे बोर्ड

गुरुग्राम, वायरल सच (ब्यूरो) : गुरुग्राम जलभराव विरोध को लेकर युवा कांग्रेस ने एक नया तरीका अपनाया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के शहर आगमन से ठीक पहले, जलभराव की समस्या को उजागर करने के लिए कांग्रेस ने विरोध के बोर्ड लगाए, जिन पर तीखे स्लोगन लिखे गए हैं। मुख्यमंत्री के कार्यक्रम स्थल से कुछ दूरी पर ही सिविल लाइन में मोर चौक (स्व. सीता राम सिंगला चौक) के आसपास उन्होंने ये बोर्ड लगवाए हैं। आमतौर पर वीआईपी कार्यक्रम के चलते ऐसे बोर्ड प्रशासन, निगम लगने नहीं देता, मगर यहां इन बोर्ड को उतारने में प्रशासन, नगर निगम ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।

अग्रवाल धर्मशाला यातायात सिगनल से लेकर मोर चौक के बीच बरसात का पानी भरा हुआ है। यह पानी काफी गहरा भर जाता है। इनकी निकासी के लिए कोई उपाय नहीं किए गए हैं। ये हाल तो तब हैं जब इस जलभराव वाले स्थान के ठीक सामने न्यायाधीशों के भी निवास हैं। इसी क्षेत्र में गुरुग्राम की मेयर का भी आवास है। मोर चौक से आगे चलकर कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह, जिला मंडलायुक्त, जिला उपायुक्त, पुलिस आयुक्त, समेत तमाम बड़े अधिकारियों के आवास हैं। जिस जगह पर ये बोर्ड लगाए गए हैं, वहां से भी दिनभर बड़े अधिकारियों व अन्य वीआईपी का भी आवागमन होता है।

इसके बाद भी यहां पर होने वाले जलभराव का कोई समाधान नगर निगम नहीं कर पाया है। कई साल से यहां पर जलभराव होता है। बरसात जब आती है तो यहां काफी गहरा पानी भर जाता है। दूसरी जगहों पर तो नगर निगम बरसात में पंप लगाकर जलभराव को सीवरेज लाइन में डालने का काम करता है, लेकिन यहां न्यायाधीशों के आवास के सामने भरने वाले पानी को कभी नहीं निकाला जाता। यह पानी यहीं पर कई-कई दिन सड़ता रहता है। मच्छर पैदा होते हैं। फिर भी यहां की अनदेखी की जाती है। इस जलभराव को लेकर और गुरुग्राम में बुधवार को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के आगमन को लेकर युवा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष अभिषेक यादव ने जगह-जगह बोर्ड लगवा दिए।

बोर्ड पर लिखा कि-यहां गुरुग्राम में जनता त्रस्त, वहां चंडीगढ़ में सांसद-मंत्री डिनर में व्यस्त। एक बोर्ड पर लिखा-प्रश्न: गुरुग्राम को गुरुजाम बनाने वाला कौन। उत्तर: भाजपा सरकार। इस तरह से अलग-अलग स्लोगन लिखे बोर्ड अभिषेक यादव की ओर से यहां लगवाए गए हैं। इस तरह से उन्होंने गुरुग्राम में जलभराव की समस्या को उठाया है।

अब सवाल यह उठता है कि मुख्यमंत्री के कार्यक्रम स्थल से कुछ दूरी पर ही ये बोर्ड लगे हैं। आमतौर पर वीआईपी मूवमेंट के चलते ऐसे बोर्ड लगे रहने नहीं दिए जाते। नगर निगम कर्मचारी तुरंत प्रभाव से उतार देते हैं। इस बार ऐसा नहीं किया गया। संभवत: ये बोर्ड रात के समय ही लगाए गए हों, लेकिन नगर निगम के किसी कर्मचारी या अधिकारी ने इस बोर्ड को उतरवाने या उतारने को लेकर कोई प्रयास नहीं किए।

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